आज कल फेसबुक का क्रेज़ जैसे है न वैसे लगता है की सारी दुनिया इसी में समाई है ! लोग नए नए दोस्त बनाते हैं, चैट भी करते हैं. सच में सोशल नेटवर्किंग ने दुनिया को कितना करीब ला दिया है।
वैसे मेरे एक दोस्त या यूँ कहे एक फसबुकिया दोस्त हैं.... शिवानंद पाण्डेय, वैसे हम सब दोस्त उन्हें "पारें जी " कहते हैं. प्यार का नाम है न कैसे छोड़ सकते है.। उन्होंने हाल ही में नया नया मोबाइल फ़ोन ख़रीदे।।। अब उसका फंक्शन सीखना था तो वो आ गए हमारे पास, की ज़रा हमको बता दीजिये , अब बटन वाला मोबाइल होता तो लेकिन ई टच वाला मोबाइल समझे है, उनको मोबाइल से ज़यदा उत्सुकता फेसबुक सिखने थी। मैंने जैसे तैसे करके उनको मोबाइल चलाना और फेसबुक चलना सीखाया ,. लेकिन सिखाया क्या अपना पिंड किसी तरह छुड़ाया। अब नवका मोबाइल और फेसबुक लेके पारें जी पूरा गाँव घुम आये, चाचा , चाची सबको दिखाया , सब खुश। तभी पारें ने फेसबुक पे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा , पारें जी पूरा खुश, दौड़ के मेरे पास आये बोले अरे पता नहीं ये कौन है हम तो जानते भी नहीं और ई हमसे दोस्ती करना चाहता है, क्या करूँ , मैंने कहा पारें जी घबराइये नहीं फेसबुक अनजान लोग भी दोस्त हैं. तो इनका रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लीजिये , अब पारें जी ने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किया तो देखा की कोई लड़की का प्रोफाइल है, फिर क्या था पारें जी लग गए पूरा चाटियाने (चैट करने ) उधर से भी रिस्पांस अच्छा ही आ रहा था, अब पारें जी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था, आसमान सर पर लेकर घूम रहे थे। कुछ दिन तक सिलसिला ऐसा ही चला . कुछ दिन बाद उन्हें पता चला की वो कोई लड़की नहीं थी वो तो गाँव के ही कुछ मसखरी करने वाले लड़के थे जो बिन ब्यहे पारें जी रहे थे.
पारें जी का दिल टूट गया , एक तो उनकी शादी नहीं हुई और गाँव लड़के भी ,,,,,,मुझे उनसे हमदर्दी है , लड़को से नहीं।,,पारें जी से. जैसे तैसे मैंने उनको समझाया की पारें जी दुनिया ऐसी ही है , अगर आप किसी को मज़े लेने देंगे दुनिया और चटखारे लेकर मज़े लेगी।
मेरा पहला ब्लॉग है - अपना विचार ज़रूर दें।
आपका
अभिषेक राहुल - New Delhi
वैसे मेरे एक दोस्त या यूँ कहे एक फसबुकिया दोस्त हैं.... शिवानंद पाण्डेय, वैसे हम सब दोस्त उन्हें "पारें जी " कहते हैं. प्यार का नाम है न कैसे छोड़ सकते है.। उन्होंने हाल ही में नया नया मोबाइल फ़ोन ख़रीदे।।। अब उसका फंक्शन सीखना था तो वो आ गए हमारे पास, की ज़रा हमको बता दीजिये , अब बटन वाला मोबाइल होता तो लेकिन ई टच वाला मोबाइल समझे है, उनको मोबाइल से ज़यदा उत्सुकता फेसबुक सिखने थी। मैंने जैसे तैसे करके उनको मोबाइल चलाना और फेसबुक चलना सीखाया ,. लेकिन सिखाया क्या अपना पिंड किसी तरह छुड़ाया। अब नवका मोबाइल और फेसबुक लेके पारें जी पूरा गाँव घुम आये, चाचा , चाची सबको दिखाया , सब खुश। तभी पारें ने फेसबुक पे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा , पारें जी पूरा खुश, दौड़ के मेरे पास आये बोले अरे पता नहीं ये कौन है हम तो जानते भी नहीं और ई हमसे दोस्ती करना चाहता है, क्या करूँ , मैंने कहा पारें जी घबराइये नहीं फेसबुक अनजान लोग भी दोस्त हैं. तो इनका रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लीजिये , अब पारें जी ने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किया तो देखा की कोई लड़की का प्रोफाइल है, फिर क्या था पारें जी लग गए पूरा चाटियाने (चैट करने ) उधर से भी रिस्पांस अच्छा ही आ रहा था, अब पारें जी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था, आसमान सर पर लेकर घूम रहे थे। कुछ दिन तक सिलसिला ऐसा ही चला . कुछ दिन बाद उन्हें पता चला की वो कोई लड़की नहीं थी वो तो गाँव के ही कुछ मसखरी करने वाले लड़के थे जो बिन ब्यहे पारें जी रहे थे.
पारें जी का दिल टूट गया , एक तो उनकी शादी नहीं हुई और गाँव लड़के भी ,,,,,,मुझे उनसे हमदर्दी है , लड़को से नहीं।,,पारें जी से. जैसे तैसे मैंने उनको समझाया की पारें जी दुनिया ऐसी ही है , अगर आप किसी को मज़े लेने देंगे दुनिया और चटखारे लेकर मज़े लेगी।
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आपका
अभिषेक राहुल - New Delhi
Nice One...
ReplyDeleteदुनिया ऐसी ही है , अगर आप किसी को मज़े लेने देंगे दुनिया और चटखारे लेकर मज़े लेगी।
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