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Friday, May 8, 2020

रोटी और कोरोना ने कहीं का नहीं छोड़ा !!

जी , आप सबहि लोग सही पढ़ रहे हैं ,   . . . . . . . . .  रोटी और कोरोना ने कहीं का नहीं छोड़ा !!

कोरोना और लॉकडाउन ने सब से ज़्यादा मज़दूर और गरीब परिवारों को प्रभावित किया है , लोगो की पास काम नहीं है और काम नहीं है तो खाने के लिए पैसे कहाँ से आयेंगे।

ये सिर्फ समस्या नहीं बहुत कठिन समस्या है, जो मज़दूर रोज कमाने और खाने वाला है वो कहाँ से अपने परिवार का पेट पाले , ये सोच कर न जाने कितने मज़दूर जो कम से कम लाखों की संख्या में होंगे, पैदल ही चल दिए अपने घरों के तरफ़ , ये सोच कर अगर दूसरे राज्य में रहेंगे तो खाने के साथ साथ किराया की भी समस्या होगी.

   वो तो चल दिया अपने घर के तरफ पैदल ही, न उन्हें रास्ता मालूम नहीं डगर , कुछ पैसे हाथ में बचे थे उनको लेके चल दिए, कोई साइकिल से जा रहा हज़ारो किलोमीटर तो कोई पैदल, बस सब जाना चाहते हैं अपने घर के तरफ।
                                                   भूख ने किसी को नहीं छोड़ा है साहब ।    
                                                        । तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं जी।  

चलें जा रहें हैं अपने डगर पे, उन मजदूरों को रास्ते का पता नहीं तो चल पर रेलगाड़ी की पटरी के साथ, की ये तो पहुंचा ही देगी अपनी मंजिल क पास, लेकिन कम्बख्त भूख और नींद को किसी ने कहाँ वश मि किया है , लग गई नींद और सो गए उसी रेल की पटरी पर , फिर मालूम नहीं यमराज को भी उसी वक़्त आना था, यमराज उस मालगाड़ी रेल के रूप में आये और उन बेसहारा, मासूम लोगो की जिंदगी को लील गए ,

     अब यहाँ किसकी नाकामी बताये, सरकार की , कोरोना की, भूख (रोटी) की या उस मालगाड़ी के चालक की।

न जाने और कितनी ज़िंदगियाँ जानी बाकि हैं, मेरी तो बस ऊपर वाले से यही दुआ है की, सब को सुरक्षित रखे,


बहुत ही भारी मन है  - बथान से 





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