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Wednesday, April 29, 2020

Lockdown और ज़िंदगी !

सहिये पढ़े हैं , Lockdown और ज़िंदगी ..................................

कुछ खास नहिये चल रही है और जिसकी चल रही है उ त पूछिए मत की कितनी चल रही है।  ये भी कोई ज़िंदगी है जिसमे न बाजु वाली को न तार सकते हैं न निहार सकते हैं, बस घर में दुबके रह सकते हैं।  अब आप हीं बताइये एके चेहरावा को कितना दिन तक देखे भाई और कब तक काम चलाये, बताइये ! ऐसा भी कहीं होता है का। न कहीं आ सकते हैं न कहीं जा सकते हैं, सोचे थे गर्मी का छट्टी होगा तो मामा के यहाँ घूम आएंगे लेकिन ई करोनोवा जो न करवाए , बच्चा लोग को जो मामा और मामी के यहाँ से मिलने वाला पइसवो था उहो गया।  का कहे केतना घाटा हो गया। आप जरूर बताइयेगा की आपका कितना घाटा हुआ है। 
      
             "बस एक्के बात अच्छा हुआ है जे श्रीमती जी से अच्छा अच्छा खाने को मिल जाता है", और वैसे भी अगर नहीं मिले तो अपन हाथ हइये है, खुदे बना लेते हैं. 

पूरी भुजिया और परवल का भाजी 

पनीर टिक्का 

          ... बाकी सच कहें इस कोरोना और Lockdown ने बहुतों के ज़िदगी में तूफ़ान ला दिया है, जो मजदूर लोग आ दिहारी कर क कमाने वाला लोग है उसको सब से ज़्यादा परेशानी हुआ है, केतना वीडियो आ न्यूज़ देखें की लोग ऐसे ही पैदल निकल गया घर क लिये , हज़ारो किलोमीटर पैदल, सोच क ही सिहरन हो जाता है, लेकिन लोग करे भी तो क्या करे, सुने थे लोग कह रहा था की "कोरोना से तो बाद में मरेंगे लेकिन भूख से पहले मर जायेंगे "

    बहुत लोगो को देखे की मजदूर लोग को खाना खिला रहा था, जिस से जितना बन रहा सब करिए रहा है "बहुत बहुत धन्यवाद उन सभी मसीहाओं को "

इ टाइम मिल के काटने का है, काट लेंगे। ... बाकी आप सब अपना ध्यान देते रहिएगा।  
              आप सभी से निवेदन है की घर पर ही रहें जब तक सरकार का कोई फैसला नहीं आता है। 

                                    । घर पर रहें सुरक्षित रहें। 

Disclaimer - श्रीमती जी ने कहा था मेरे बारे में अच्छा अच्छा लिखयेगा, नहीं तो.........   अब आप समझ ही सकते हैं 

आप अपना सुझाव जरूर दें।  जिससे मुझे आगे लिखने की प्रेरणा मिलती रहे।  धन्यवाद। 

~ बथान से 


                             

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