ज़्यदातर लोग इस स्नैक्स क रूप में खाना पसंद करते हैं, आप कैसे पसंद करते हैं हमें कमेंट कर के ज़रूर बताएँगे। इसे आप सिर्फ और सिर्फ 40 मिनट में बना कर अपने बच्चों और बड़ो को सर्व कर सकते हैं। तो चलिए बिना किसी देरी के शरू करते हैं और अगर आपको रेसिपी पसंद आयी या आपके कोई सुझाव है तो हमें ज़रूर बताएं।
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Saturday, September 25, 2021
Pav Bhaji recipe in Hindi – पाव भाजी रेसिपी हिंदी में
Pav Bhaji recipe in Hindi – पाव भाजी रेसिपी हिंदी में, का नाम सुनते ही सबके मुँह में पानी आने लगता है और आये भी क्यों न, ये होती है इतनी स्वादिष्ट की बस पूछो नहीं। तो आज हम बनाने जा रहें है मुंबई की स्पेशलिटी Pav Bhaji recipe in Hindi . ये मुंबई के साथ साथ पुरे भारत में खाई और सराही जाती है और इसका सबसे बड़ा कारण है इसमें इस्तेमाल होने वाले Ingredients. इसके स्वाद में इसमें इस्तेमाल की गई बेहतरीन बेहतरीन सब्जियों का कमल और उनकी खुसबू आपका मन मोह लेगी
Friday, May 8, 2020
रोटी और कोरोना ने कहीं का नहीं छोड़ा !!
जी , आप सबहि लोग सही पढ़ रहे हैं , . . . . . . . . . रोटी और कोरोना ने कहीं का नहीं छोड़ा !!
कोरोना और लॉकडाउन ने सब से ज़्यादा मज़दूर और गरीब परिवारों को प्रभावित किया है , लोगो की पास काम नहीं है और काम नहीं है तो खाने के लिए पैसे कहाँ से आयेंगे।
ये सिर्फ समस्या नहीं बहुत कठिन समस्या है, जो मज़दूर रोज कमाने और खाने वाला है वो कहाँ से अपने परिवार का पेट पाले , ये सोच कर न जाने कितने मज़दूर जो कम से कम लाखों की संख्या में होंगे, पैदल ही चल दिए अपने घरों के तरफ़ , ये सोच कर अगर दूसरे राज्य में रहेंगे तो खाने के साथ साथ किराया की भी समस्या होगी.
वो तो चल दिया अपने घर के तरफ पैदल ही, न उन्हें रास्ता मालूम नहीं डगर , कुछ पैसे हाथ में बचे थे उनको लेके चल दिए, कोई साइकिल से जा रहा हज़ारो किलोमीटर तो कोई पैदल, बस सब जाना चाहते हैं अपने घर के तरफ।
। भूख ने किसी को नहीं छोड़ा है साहब ।
। तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं जी।
चलें जा रहें हैं अपने डगर पे, उन मजदूरों को रास्ते का पता नहीं तो चल पर रेलगाड़ी की पटरी के साथ, की ये तो पहुंचा ही देगी अपनी मंजिल क पास, लेकिन कम्बख्त भूख और नींद को किसी ने कहाँ वश मि किया है , लग गई नींद और सो गए उसी रेल की पटरी पर , फिर मालूम नहीं यमराज को भी उसी वक़्त आना था, यमराज उस मालगाड़ी रेल के रूप में आये और उन बेसहारा, मासूम लोगो की जिंदगी को लील गए ,
अब यहाँ किसकी नाकामी बताये, सरकार की , कोरोना की, भूख (रोटी) की या उस मालगाड़ी के चालक की।
न जाने और कितनी ज़िंदगियाँ जानी बाकि हैं, मेरी तो बस ऊपर वाले से यही दुआ है की, सब को सुरक्षित रखे,
बहुत ही भारी मन है - बथान से
कोरोना और लॉकडाउन ने सब से ज़्यादा मज़दूर और गरीब परिवारों को प्रभावित किया है , लोगो की पास काम नहीं है और काम नहीं है तो खाने के लिए पैसे कहाँ से आयेंगे।
ये सिर्फ समस्या नहीं बहुत कठिन समस्या है, जो मज़दूर रोज कमाने और खाने वाला है वो कहाँ से अपने परिवार का पेट पाले , ये सोच कर न जाने कितने मज़दूर जो कम से कम लाखों की संख्या में होंगे, पैदल ही चल दिए अपने घरों के तरफ़ , ये सोच कर अगर दूसरे राज्य में रहेंगे तो खाने के साथ साथ किराया की भी समस्या होगी.
वो तो चल दिया अपने घर के तरफ पैदल ही, न उन्हें रास्ता मालूम नहीं डगर , कुछ पैसे हाथ में बचे थे उनको लेके चल दिए, कोई साइकिल से जा रहा हज़ारो किलोमीटर तो कोई पैदल, बस सब जाना चाहते हैं अपने घर के तरफ।
। भूख ने किसी को नहीं छोड़ा है साहब ।
। तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं जी।
चलें जा रहें हैं अपने डगर पे, उन मजदूरों को रास्ते का पता नहीं तो चल पर रेलगाड़ी की पटरी के साथ, की ये तो पहुंचा ही देगी अपनी मंजिल क पास, लेकिन कम्बख्त भूख और नींद को किसी ने कहाँ वश मि किया है , लग गई नींद और सो गए उसी रेल की पटरी पर , फिर मालूम नहीं यमराज को भी उसी वक़्त आना था, यमराज उस मालगाड़ी रेल के रूप में आये और उन बेसहारा, मासूम लोगो की जिंदगी को लील गए ,
अब यहाँ किसकी नाकामी बताये, सरकार की , कोरोना की, भूख (रोटी) की या उस मालगाड़ी के चालक की।
न जाने और कितनी ज़िंदगियाँ जानी बाकि हैं, मेरी तो बस ऊपर वाले से यही दुआ है की, सब को सुरक्षित रखे,
बहुत ही भारी मन है - बथान से
Thursday, April 30, 2020
दर्दे दिल - कहने वाले आज रुला कर चले गए
दर्दे दिल - दर्दे जिगर - दिल में जगाया आपने .................................
ऐसा कोई आशिक नहीं होगा जिसने ये गाना न सुना हो , स्व - ऋषि कपूर जी पर फिल्माया गया ये गाना काफी कुछ कह जाता है , कितने आशिक़ों ने तो इस गाने पर पीएचडी भी कर रखी है. लेकिन क्या कहें साहब , कहते हैं वक़्त बड़ा बलवान होता है और वो किसी की नहीं सुनता।
हमें क्या मालूम था की इन दो दिनों में फिल्मीजगत से दो सितारे हमें छोड़ कर चले जायँगे।
इरफ़ान जी और ऋषि जी आप हम सब के दिलों में ज़िंदा रहेंगे और आने वाली पीढ़ियां भी आपको याद रखेंगी।
ऋषि साहब के बारे में क्या लिखूँ ,....... किसे पता था की फिल्म बॉबी का वो चॉकलेटी हीरो आज हमसे जुदा हो जायेगा, न जाने कितने यादगार फिल्मों के लिए आप याद किये जायँगे।
आपकी बेहतरीन फिल्मों में से। .......
१. बॉबी
२. क़र्ज़
३. अग्निपथ
४. चांदनी
५. प्रेम रोग
६. अमर अकबर अन्थोनी
७. सागर
८. वादा रहा
९. हिना
१०. बोल राधा बोल
११. दीवाना
और न जाने कितने फिल्मों में आपने अपनी बेहतरीन अदाकारी से सब का मन मोह लिया।
मन बहुत उदास है , बस आप सभी को उनके एक बेहतरीन गीत के साथ छोड़े जा रहा हूँ। .......
~ बथान से
Wednesday, April 29, 2020
Lockdown और ज़िंदगी !
सहिये पढ़े हैं , Lockdown और ज़िंदगी ..................................
कुछ खास नहिये चल रही है और जिसकी चल रही है उ त पूछिए मत की कितनी चल रही है। ये भी कोई ज़िंदगी है जिसमे न बाजु वाली को न तार सकते हैं न निहार सकते हैं, बस घर में दुबके रह सकते हैं। अब आप हीं बताइये एके चेहरावा को कितना दिन तक देखे भाई और कब तक काम चलाये, बताइये ! ऐसा भी कहीं होता है का। न कहीं आ सकते हैं न कहीं जा सकते हैं, सोचे थे गर्मी का छट्टी होगा तो मामा के यहाँ घूम आएंगे लेकिन ई करोनोवा जो न करवाए , बच्चा लोग को जो मामा और मामी के यहाँ से मिलने वाला पइसवो था उहो गया। का कहे केतना घाटा हो गया। आप जरूर बताइयेगा की आपका कितना घाटा हुआ है।
"बस एक्के बात अच्छा हुआ है जे श्रीमती जी से अच्छा अच्छा खाने को मिल जाता है", और वैसे भी अगर नहीं मिले तो अपन हाथ हइये है, खुदे बना लेते हैं.
![]() |
| पूरी भुजिया और परवल का भाजी |
![]() |
| पनीर टिक्का |
बहुत लोगो को देखे की मजदूर लोग को खाना खिला रहा था, जिस से जितना बन रहा सब करिए रहा है "बहुत बहुत धन्यवाद उन सभी मसीहाओं को "
इ टाइम मिल के काटने का है, काट लेंगे। ... बाकी आप सब अपना ध्यान देते रहिएगा।
आप सभी से निवेदन है की घर पर ही रहें जब तक सरकार का कोई फैसला नहीं आता है।
। घर पर रहें सुरक्षित रहें।
Disclaimer - श्रीमती जी ने कहा था मेरे बारे में अच्छा अच्छा लिखयेगा, नहीं तो......... अब आप समझ ही सकते हैं
आप अपना सुझाव जरूर दें। जिससे मुझे आगे लिखने की प्रेरणा मिलती रहे। धन्यवाद।
~ बथान से
Wednesday, January 28, 2015
आम आदमी और चुनाव -
# आम आदमी और चुनाव
अभी कुछ ही दिन बाद दिल्ली में चुनाव होने वाला है . लोग अभी से ही कयास लगा रहे हैं की कौन पार्टी जीतेगी और कौन नहीं। सभी पार्टियां ऐड़ी चोटी का दम लगा रही हैं चुनाव जितने के लिए. दिल्ली में हर तरह के लोग हैं और सबका अपना अपना विचार है, कोई कहता है की फलां पार्टी अच्छा काम करेगी उसे वोट देना चाहिए।
मै ऐसे ही अपने दोस्तों से बात कर रहा था (Whatsapp group ) में वहाँ भी सबके अपने अपने विचार सामने आये. किसी ने अपने तर्क से साबित किया की मफलर मैन (केजरीवाल) सही है, आदर्शवादी है अवसरवादी नहीं तो उसे ही वोट देना चाहिए किसी ने अपने तर्क से किरन को बुरा भला कहा। अब किसे अच्छा कहे और किसे बुरा ये तो आने वाला चुनाव ही बताएगा।
मेरे राय में वोट उसे देना चाहिए जो आम जनता के हित में बात करे और आम जनता का काम करे , ना की उसे जो सिर्फ वादे करे और भूल जाये। मै ये नहीं कहता की ये पार्टी अच्छी है या ये पार्टी बुरी है , पार्टीयां बुरी अच्छी नहीं हैं बल्कि उसमे जो लोग हैं वो बुरे और अच्छे हैं. इसीलिए अपना मत सोच समझ कर दे.
आम आदमी को चाहिए ही क्या, बिजली, पानी, सड़क, स्ट्रीट लाइट, अस्पताल और भ्र्स्टाचार मुक्त समाज। रोटी के लिए वो मेहनत तो करता ही है लेकिन जब ऐ सभी चीजे सही हो जाये तो सोने पे सुहागा हो जाये
आम आदमी चुनाव से बहुत घबराता है, सोचता है इस चुनाव के बाद महंगाई तो मुँह बा कर आएगी और मंथली बजट संभालना मुश्किल हो जायेगा लेकिन ये बातें हमारे नेताओं समझ नहीं आती उन्हें तो कुर्सी और कुर्सी से मिलने वाले फायदे से मतलब होता है।
इसलिए आम आदमी की सहनशीलता को मत परखो। अब ये आपके हाथ में है की आप क्या सोचते हैं।
कुछ ग़लती से अगर ग़लत लिख दिया हो तो माफ़ करना।
~~ अभिषेक राहुल
अभी कुछ ही दिन बाद दिल्ली में चुनाव होने वाला है . लोग अभी से ही कयास लगा रहे हैं की कौन पार्टी जीतेगी और कौन नहीं। सभी पार्टियां ऐड़ी चोटी का दम लगा रही हैं चुनाव जितने के लिए. दिल्ली में हर तरह के लोग हैं और सबका अपना अपना विचार है, कोई कहता है की फलां पार्टी अच्छा काम करेगी उसे वोट देना चाहिए।
मै ऐसे ही अपने दोस्तों से बात कर रहा था (Whatsapp group ) में वहाँ भी सबके अपने अपने विचार सामने आये. किसी ने अपने तर्क से साबित किया की मफलर मैन (केजरीवाल) सही है, आदर्शवादी है अवसरवादी नहीं तो उसे ही वोट देना चाहिए किसी ने अपने तर्क से किरन को बुरा भला कहा। अब किसे अच्छा कहे और किसे बुरा ये तो आने वाला चुनाव ही बताएगा।
मेरे राय में वोट उसे देना चाहिए जो आम जनता के हित में बात करे और आम जनता का काम करे , ना की उसे जो सिर्फ वादे करे और भूल जाये। मै ये नहीं कहता की ये पार्टी अच्छी है या ये पार्टी बुरी है , पार्टीयां बुरी अच्छी नहीं हैं बल्कि उसमे जो लोग हैं वो बुरे और अच्छे हैं. इसीलिए अपना मत सोच समझ कर दे.
आम आदमी को चाहिए ही क्या, बिजली, पानी, सड़क, स्ट्रीट लाइट, अस्पताल और भ्र्स्टाचार मुक्त समाज। रोटी के लिए वो मेहनत तो करता ही है लेकिन जब ऐ सभी चीजे सही हो जाये तो सोने पे सुहागा हो जाये
आम आदमी चुनाव से बहुत घबराता है, सोचता है इस चुनाव के बाद महंगाई तो मुँह बा कर आएगी और मंथली बजट संभालना मुश्किल हो जायेगा लेकिन ये बातें हमारे नेताओं समझ नहीं आती उन्हें तो कुर्सी और कुर्सी से मिलने वाले फायदे से मतलब होता है।
इसलिए आम आदमी की सहनशीलता को मत परखो। अब ये आपके हाथ में है की आप क्या सोचते हैं।
कुछ ग़लती से अगर ग़लत लिख दिया हो तो माफ़ करना।
~~ अभिषेक राहुल
Friday, January 23, 2015
फसबुकिया दोस्त -
आज कल फेसबुक का क्रेज़ जैसे है न वैसे लगता है की सारी दुनिया इसी में समाई है ! लोग नए नए दोस्त बनाते हैं, चैट भी करते हैं. सच में सोशल नेटवर्किंग ने दुनिया को कितना करीब ला दिया है।
वैसे मेरे एक दोस्त या यूँ कहे एक फसबुकिया दोस्त हैं.... शिवानंद पाण्डेय, वैसे हम सब दोस्त उन्हें "पारें जी " कहते हैं. प्यार का नाम है न कैसे छोड़ सकते है.। उन्होंने हाल ही में नया नया मोबाइल फ़ोन ख़रीदे।।। अब उसका फंक्शन सीखना था तो वो आ गए हमारे पास, की ज़रा हमको बता दीजिये , अब बटन वाला मोबाइल होता तो लेकिन ई टच वाला मोबाइल समझे है, उनको मोबाइल से ज़यदा उत्सुकता फेसबुक सिखने थी। मैंने जैसे तैसे करके उनको मोबाइल चलाना और फेसबुक चलना सीखाया ,. लेकिन सिखाया क्या अपना पिंड किसी तरह छुड़ाया। अब नवका मोबाइल और फेसबुक लेके पारें जी पूरा गाँव घुम आये, चाचा , चाची सबको दिखाया , सब खुश। तभी पारें ने फेसबुक पे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा , पारें जी पूरा खुश, दौड़ के मेरे पास आये बोले अरे पता नहीं ये कौन है हम तो जानते भी नहीं और ई हमसे दोस्ती करना चाहता है, क्या करूँ , मैंने कहा पारें जी घबराइये नहीं फेसबुक अनजान लोग भी दोस्त हैं. तो इनका रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लीजिये , अब पारें जी ने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किया तो देखा की कोई लड़की का प्रोफाइल है, फिर क्या था पारें जी लग गए पूरा चाटियाने (चैट करने ) उधर से भी रिस्पांस अच्छा ही आ रहा था, अब पारें जी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था, आसमान सर पर लेकर घूम रहे थे। कुछ दिन तक सिलसिला ऐसा ही चला . कुछ दिन बाद उन्हें पता चला की वो कोई लड़की नहीं थी वो तो गाँव के ही कुछ मसखरी करने वाले लड़के थे जो बिन ब्यहे पारें जी रहे थे.
पारें जी का दिल टूट गया , एक तो उनकी शादी नहीं हुई और गाँव लड़के भी ,,,,,,मुझे उनसे हमदर्दी है , लड़को से नहीं।,,पारें जी से. जैसे तैसे मैंने उनको समझाया की पारें जी दुनिया ऐसी ही है , अगर आप किसी को मज़े लेने देंगे दुनिया और चटखारे लेकर मज़े लेगी।
मेरा पहला ब्लॉग है - अपना विचार ज़रूर दें।
आपका
अभिषेक राहुल - New Delhi
वैसे मेरे एक दोस्त या यूँ कहे एक फसबुकिया दोस्त हैं.... शिवानंद पाण्डेय, वैसे हम सब दोस्त उन्हें "पारें जी " कहते हैं. प्यार का नाम है न कैसे छोड़ सकते है.। उन्होंने हाल ही में नया नया मोबाइल फ़ोन ख़रीदे।।। अब उसका फंक्शन सीखना था तो वो आ गए हमारे पास, की ज़रा हमको बता दीजिये , अब बटन वाला मोबाइल होता तो लेकिन ई टच वाला मोबाइल समझे है, उनको मोबाइल से ज़यदा उत्सुकता फेसबुक सिखने थी। मैंने जैसे तैसे करके उनको मोबाइल चलाना और फेसबुक चलना सीखाया ,. लेकिन सिखाया क्या अपना पिंड किसी तरह छुड़ाया। अब नवका मोबाइल और फेसबुक लेके पारें जी पूरा गाँव घुम आये, चाचा , चाची सबको दिखाया , सब खुश। तभी पारें ने फेसबुक पे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा , पारें जी पूरा खुश, दौड़ के मेरे पास आये बोले अरे पता नहीं ये कौन है हम तो जानते भी नहीं और ई हमसे दोस्ती करना चाहता है, क्या करूँ , मैंने कहा पारें जी घबराइये नहीं फेसबुक अनजान लोग भी दोस्त हैं. तो इनका रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लीजिये , अब पारें जी ने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किया तो देखा की कोई लड़की का प्रोफाइल है, फिर क्या था पारें जी लग गए पूरा चाटियाने (चैट करने ) उधर से भी रिस्पांस अच्छा ही आ रहा था, अब पारें जी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था, आसमान सर पर लेकर घूम रहे थे। कुछ दिन तक सिलसिला ऐसा ही चला . कुछ दिन बाद उन्हें पता चला की वो कोई लड़की नहीं थी वो तो गाँव के ही कुछ मसखरी करने वाले लड़के थे जो बिन ब्यहे पारें जी रहे थे.
पारें जी का दिल टूट गया , एक तो उनकी शादी नहीं हुई और गाँव लड़के भी ,,,,,,मुझे उनसे हमदर्दी है , लड़को से नहीं।,,पारें जी से. जैसे तैसे मैंने उनको समझाया की पारें जी दुनिया ऐसी ही है , अगर आप किसी को मज़े लेने देंगे दुनिया और चटखारे लेकर मज़े लेगी।
मेरा पहला ब्लॉग है - अपना विचार ज़रूर दें।
आपका
अभिषेक राहुल - New Delhi
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